Lt विनय नरवाल :22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल शहीद हो गए। शादी के महज छह दिन बाद, हनीमून पर गए इस युवा अधिकारी की निर्मम हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया।
उनके पिता ने अस्थियां बहाते समय जो दर्द और गुस्सा व्यक्त किया, वह हर भारतीय के दिल को छू गया। इस लेख में हम Lt विनय नरवाल की शहादत, उनके परिवार की पीड़ा, राजनीतिक प्रतिक्रियाएं, और सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की विस्तृत जानकारी देंगे।
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Lt विनय नरवाल: एक वीर योद्धा की शहादत
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल शहीद हो गए। 26 वर्षीय विनय, हरियाणा के करनाल जिले के भुसली गांव के निवासी थे। उन्होंने 16 अप्रैल को गुरुग्राम की हिमांशी से विवाह किया था और हनीमून के लिए पहलगाम गए थे। हमले में उन्हें गोली लगने से गंभीर चोटें आईं, जिससे उनकी मृत्यु हो गई।
पिता का दर्द: अस्थियां बहाते समय छलके आंसू
विनय के पिता ने बेटे की अस्थियां बहाते समय कहा, “मेरा बेटा देश के लिए शहीद हुआ है, लेकिन यह दुख असहनीय है।” उन्होंने सरकार से आतंकवाद के खिलाफ कठोर कदम उठाने की मांग की।
हिमांशी की पीड़ा: “मैंने प्रार्थना की, लेकिन
विनय की पत्नी हिमांशी ने बताया, “हम बेलीपुरी खा रहे थे, तभी एक बंदूकधारी आया और मेरे पति से उनका धर्म पूछा। जब उन्होंने जवाब दिया, तो उन्हें गोली मार दी गई।” हिमांशी ने आतंकियों से खुद को भी मारने की गुहार लगाई, लेकिन उन्होंने कहा, “हम तुम्हें छोड़ रहे हैं ताकि तुम मोदी को बता सको कि हमने क्या किया।”
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: सरकार की कड़ी निंदा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमले की कड़ी निंदा की और कहा, “आतंकवादियों को बख्शा नहीं जाएगा।” हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने विनय के परिवार से बात की और उन्हें हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने भी परिवार से मुलाकात की और सरकार से उचित मुआवजा और नौकरी की मांग की।
राष्ट्रीय सुरक्षा: सरकार के कठोर कदम
सरकार ने पाकिस्तान के साथ इंदुस जल संधि को निलंबित कर दिया है, अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद कर दिया है, और पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को सीमित कर दिया है। रक्षा विशेषज्ञों ने इन कदमों की सराहना की है और कहा है कि इससे पाकिस्तान पर दबाव बढ़ेगा।
आतंकवादी संगठन: लश्कर-ए-तैयबा और TRF
हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन “द रेजिस्टेंस फ्रंट” ने ली है। उन्होंने कहा कि यह हमला कश्मीर में गैर-मुस्लिमों की बसावट के विरोध में किया गया था। हमले में 26 लोग मारे गए और 20 से अधिक घायल हुए।
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